Khushi jha

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लेखनी प्रतियोगिता -05-Nov-2021

ढलती हुई शाम पैगाम दे जाती है,

जिन्दगी से हारना ना कभी,
जिन्दगी तो हर किसी का इम्तिहान ले जाती है।
गिर के उठना,उठ के चलना,
डूब के निकलना हीं तो जिन्दगी कहलाती है।
ढलती हुई शाम नये जीवन की आस जगाती है,
हिम्मत ना हारना, अंधेरों को जीत जाना सीखाती है।
होती है सुबह, हो जाएगी सुबह,,
हर शाम एक नयी सुबह की आस जगा जाती है
ढलती हुई शाम जिन्दगी का आयाम सीखा जाती है।

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5 Comments

Seema Priyadarshini sahay

06-Nov-2021 04:19 PM

बहुत खूबसूरत

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Niraj Pandey

06-Nov-2021 01:42 PM

वाह बेहतरीन

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खूब लिखा आपने 👌👌

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